बिहार में EOU ने जदयू नेता को किया गिरफ्तार, घर से 1500 सिम, कई लैपटॉप और 7 करोड़ रुपये बरामद। जानिए पूरी खबर और छापेमारी की डिटेल्स।
सुपौल (बिहार): बिहार की राजनीति में उस वक़्त हड़कंप मच गया जब आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (JDU) के एक स्थानीय नेता को गिरफ्तार किया। जांच के दौरान जो खुलासे हुए, उन्होंने पुलिस और जनता दोनों को हैरान कर दिया। इस नेता के घर से करीब 1500 से अधिक सिम कार्ड, कई लैपटॉप, डोंगल, फिंगरप्रिंट स्कैनर, और बैंक खातों में करीब 7 करोड़ रुपये का पता चला है।
कौन है यह नेता?
EOU की रिपोर्ट के अनुसार, यह व्यक्ति जदयू से जुड़ा हुआ एक जिला स्तरीय नेता है जो काफी समय से सोशल व पॉलिटिकल एक्टिविटीज में सक्रिय रहा है। पहली नजर में यह नेता आम जनसेवक की तरह दिखता था, लेकिन इसके घर पर छापेमारी में जो मिला वह किसी संगठित साइबर क्राइम नेटवर्क की ओर इशारा करता है।
कैसे हुआ खुलासा?
EOU को पिछले कुछ महीनों से कुछ संदिग्ध डिजिटल ट्रांजैक्शनों और बैंकिंग फ्रॉड की जानकारी मिल रही थी। जांच के दौरान टीम को इस नेता के बैंक खातों में असामान्य गतिविधियाँ नजर आईं। एक ही व्यक्ति के नाम पर दर्जनों खाते और भारी पैमाने पर पैसों की आवाजाही देख कर अधिकारियों को शक हुआ। इसके बाद टीम ने कोर्ट से सर्च वारंट लिया और घर पर छापेमारी की।
क्या मिला छापेमारी में?
जब EOU की टीम नेता के घर पहुंची तो वहां 1500 से ज्यादा एक्टिव और इनऐक्टिव सिम कार्ड, 20 से अधिक लैपटॉप और मोबाइल फोन, कई बैंक चेकबुक, पासबुक, फर्जी दस्तावेज, और बायोमेट्रिक उपकरण बरामद हुए। अधिकारियों के अनुसार, इन उपकरणों का इस्तेमाल फर्जी KYC, बैंकिंग धोखाधड़ी और फर्जी अकाउंट बनाने में होता था।
EOU का क्या कहना है?
EOU के एक सीनियर अधिकारी ने बताया,
"हमें पुख्ता सबूत मिले हैं कि यह नेता एक बड़े साइबर फ्रॉड नेटवर्क का हिस्सा था। अभी तक की जांच में सामने आया है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक खाते खुलवाए जाते थे और उनमें भारी मात्रा में पैसे का लेन-देन होता था। कुछ खातों को क्रिप्टोकरेंसी से भी जोड़ा गया है।"
इस गिरफ्तारी के बाद बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। विपक्षी पार्टियों ने जदयू पर सीधा हमला बोलते हुए सवाल किया है कि क्या सत्ताधारी दल के लोगों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है? वहीं, जदयू की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
EOU इस मामले की तह तक जाने के लिए अब आरोपी के मोबाइल, लैपटॉप और डिजिटल उपकरणों की फॉरेंसिक जांच करवा रही है। साथ ही, यह भी पता लगाने की कोशिश हो रही है कि इस नेटवर्क से और कौन-कौन लोग जुड़े हैं। शुरुआती जांच में इस नेता के कई बैंकिंग और तकनीकी एक्सपर्ट्स से लिंक की आशंका जताई जा रही है।
यह मामला केवल एक राजनीतिक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अगर जांच में सभी सबूत पुष्ट होते हैं, तो यह अब तक का सबसे बड़ा साइबर और बैंकिंग फ्रॉड बन सकता है जिसमें किसी राजनीतिक व्यक्ति की सीधी संलिप्तता पाई गई है।
