credit by- AAj Tak 


"ये तस्वीरें किसी खंडहर की नहीं, बल्कि मधुबनी के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की हैं। जी हां, सदर अस्पताल परिसर का यही जर्जर भवन आज कुष्ठ उन्मूलन केंद्र और मलेरिया कंट्रोल यूनिट जैसे महत्वपूर्ण विभागों का ‘घर’ बना हुआ है। सवाल ये है कि इलाज के लिए आने वालों को यहां से राहत मिलती है या डर?"


 यहां के लोगों की मानें तो, ये बिल्डिंग अब इलाज का नहीं, हादसों का डर देती है। कोई मरीज कहता है कि बरसात में दीवारों से पानी टपकता है, कोई कहता है कि छत से प्लास्टर गिर जाता है। मरीजों का कहना है कि मजबूरी में यहां आना पड़ता है, लेकिन डर हमेशा साथ रहता है।"

एक बुज़ुर्ग महिला का कहना है:
"अब तो भगवान भरोसे इलाज होता है बेटा… ऊपर से छत गिरेगी कि नहीं, यही चिंता रहती है।"

एक युवक कहता है:
"इतनी बड़ी-बड़ी योजनाएं बनती हैं, पोस्टर लगते हैं, मंत्री जी आते हैं… पर हमारी बिल्डिंग तो सालों से वैसी की वैसी है।"

एक स्वास्थ्य कर्मी बताती हैं:
"हम तो दिनभर दुआ करते हैं कि मरीजों के साथ कोई हादसा न हो जाए। सरकार को जल्दी ध्यान देना चाहिए


"मधुबनी जिला मुख्यालय का ये सदर अस्पताल न सिर्फ शहर बल्कि आसपास के गांवों के हज़ारों मरीजों के इलाज का सहारा है। लेकिन यहां कुष्ठ उन्मूलन केंद्र और मलेरिया कंट्रोल यूनिट जैसी ज़रूरी सेवाएं जिस जर्जर इमारत में चल रही हैं, वह कभी भी किसी बड़े हादसे को दावत दे सकती है।"

"स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, जिले में अब भी कुष्ठ रोग और मलेरिया के मरीज सामने आते हैं। इन दोनों बीमारियों के खिलाफ लड़ाई के लिए ये केंद्र बेहद अहम हैं। लेकिन यहां की हालत खुद ही बीमार है।"

"सरकार ने देशभर में कुष्ठ और मलेरिया जैसी बीमारियों के खात्मे का संकल्प लिया है, लेकिन जिन इमारतों से ये अभियान चलना है, उनकी हालत देख कर तो लगता है कि पहले इन्हें ही इलाज की ज़रूरत है। सवाल यही है कि कब सुधरेंगे हालात?

‘स्वास्थ्य के हक़ की ये लड़ाई कब तक?’

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